Sushruta - आचार्य सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक

सुश्रुत

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एक बार एक व्यक्ति रोता हुआ Sushruta के पास आया | उसकी नाक कटी हुई थी और उससे खून बह रहा था | उसकी आंखों में आंसू बह रहे थे | बहुत दर्द से कराह रहा था | Sushruta ने उसे ढाढस बंधाया | बोले,  " सब ठीक हो जाएगा |"

उन्होंने उसे एक साफ-सुथरे बिस्तर पर लिटाया | उसके कपड़े उतारे और दवा मिले पानी से उसका मुंह धोया | इसके बाद उसे एक तरह की नशीली दवा पीने को दी और शल्य चिकित्सा में जुट गए |

बगीचे से एक पत्ता लेकर उन्होंने अजनबी की नाक नापी | चाकू और चिमटी लेकर उन्हें गर्म किया | उसी गर्म चाकू से आदमी के गाल से कुछ मांस काटा | आदमी कराहा लेकिन नशीले द्रव्य के कारण उसे दर्द कम महसूस हुआ | गाल पर पट्टी बांधकर Sushruta ने सावधानी से उसकी नाक में दो नलिकाएँ डाल दीं | काटे हुए मांस और नाक पर दवाई लगाकर उसे नाक के ऊपर जोड़ दिया और नाक को सही आकार दे दिया |

फिर नाक पर घुँघची, लाल चंदन का महीन बुरादा और हल्दी का रस लगाकर पट्टी बांध दी | अंत में Sushruta ने उस अजनबी आदमी को कुछ दवाइयां और बूटियाँ दी, और उसे घर भेज दिया | दवाइयों के सेवन से अजनबी की नाक पहली से अधिक सुंदर और सुडौल हो गई |

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