एक बार एक व्यक्ति रोता हुआ Sushruta के पास आया | उसकी नाक कटी हुई थी और उससे खून बह रहा था | उसकी आंखों में आंसू बह रहे थे | बहुत दर्द से कराह रहा था | Sushruta ने उसे ढाढस बंधाया | बोले, " सब ठीक हो जाएगा |"
उन्होंने उसे एक साफ-सुथरे बिस्तर पर लिटाया | उसके कपड़े उतारे और दवा मिले पानी से उसका मुंह धोया | इसके बाद उसे एक तरह की नशीली दवा पीने को दी और शल्य चिकित्सा में जुट गए |
बगीचे से एक पत्ता लेकर उन्होंने अजनबी की नाक नापी | चाकू और चिमटी लेकर उन्हें गर्म किया | उसी गर्म चाकू से आदमी के गाल से कुछ मांस काटा | आदमी कराहा लेकिन नशीले द्रव्य के कारण उसे दर्द कम महसूस हुआ | गाल पर पट्टी बांधकर Sushruta ने सावधानी से उसकी नाक में दो नलिकाएँ डाल दीं | काटे हुए मांस और नाक पर दवाई लगाकर उसे नाक के ऊपर जोड़ दिया और नाक को सही आकार दे दिया |
फिर नाक पर घुँघची, लाल चंदन का महीन बुरादा और हल्दी का रस लगाकर पट्टी बांध दी | अंत में Sushruta ने उस अजनबी आदमी को कुछ दवाइयां और बूटियाँ दी, और उसे घर भेज दिया | दवाइयों के सेवन से अजनबी की नाक पहली से अधिक सुंदर और सुडौल हो गई |