तमिलनाडु के तन्जोेैर जिले में एक छोटा सा गाँव है- इरोड | यह घटना इसी गांव के प्राथमिक स्कूल की है | गुरुजी ने बच्चों से कहा, " आधे घंटे में एक से सौ तक की सब संख्याओं का जोड़ निकाल कर मुझे दिखाओ |" सारे बच्चे सवाल हल करने में जुट गए |
10 मिनट भी नहीं बीते होंगे कि 7 वर्ष का एक बालक गुरुजी के सामने आकर खड़ा हो गया | उसने इतनी देर में 1 से 100 तक के अंको का जोड़ कर लिया था | गुरुजी उसकी उत्तर पुस्तिका देखकर दंग रह गए | उसने जोड़ बिल्कुल सही किया था | उस बच्चे ने सवाल हल करने में जिस सूत्र का प्रयोग किया था, उसे बड़ी कक्षाओं में पढ़ाया जाता था और बड़ी कक्षाओं के बच्चे ही सूत्र से सवाल हल कर सकते थे | मात्र 7 साल के इस नन्हे बच्चे की प्रतिभा देखकर गुरुजी चकित रह गए |
उन्होंने बच्चे से पूछा, "बेटा! तुमने यह सूत्र कहां से सीखा |" " किताब से पढ़कर |" बच्चा बोला |
यह यह बालक कोई और नहीं, भारत का महान गणितज्ञ Srinivasa Ramanujan था | 7 साल की उम्र में गणित का चमत्कार दिखाने वाला यही Ramanujan 12वीं कक्षा में फेल हो गया | गणित में उनकी गहरी रुचि थी | पर बाकी विषयों में उनका मन कम ही लगता था | 12वीं में फेल हो जाने के बाद उनका विवाह हो गया और वही नौकरी की तलाश में लग गए | बड़ी मुश्किल से उन्हें मद्रास ट्रांसपोर्ट में क्लर्क की नौकरी मिल गई | ऑफिस में जब भी उन्हें समय मिलता वे अपनी सीट पर गणित के सवाल हल करते रहते | उनके दोस्त मध्य अवकाश में जलपान के लिए जाते और Ramanujan गणित के सवाल और सूत्रों में खोए रहते |
एक दिन उनके अधिकारी ने उन्हें देख लिया | पूछने पर पता चला कि वे गणित के सूत्र लिख रहे थे | उनकी मेज से कई पन्ने निकले जो गणित के सूत्रों से भरे थे |
अधिकारी ने उन सूत्रों को पढ़ा और स्वयं को धिक्कार और वह सोचने लगा, यह मेधावी युवक क्लर्क की कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं बना है | उस अधिकारी ने उन पन्नों को इंग्लैंड के महान गणितज्ञ प्रोफेसर जी.एस.हार्डी को भेज दिया |
Ramanujan के काम को देखकर प्रोफेसर हार्डी दंग रह गए | जिन प्रश्नों को उस समय तक कोई हल नहीं कर पाया था, उनकी सही उत्तर Ramanujan ने निकाले थे |
प्रोफेसर हार्डी ने तुरंत Ramanujan को इंग्लैंड बुलाया, और उन्हें गणित के उच्च शोध कार्य में लगा दिया, बाद में यही Ramanujan विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ हुए |