वह गुराड़ की थोकदार की बेटी थी | उसकी दो सहेलियाँ थी 'देवकी और बेलू । वह बचपन से ही अपनी सहेलियों के साथ बहादुरी के खेल खेला करती थी | कुश्ती, घुड़सवारी और तलवार चलाने का उसे अच्छा अभ्यास हो गया था |
एक बार उसके इलाके पर शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया | सैनिक वीरता पूर्वक लड़े लेकिन इलाके की रक्षा करते हुए उसके पिता भूपसिंह गोला और भाई भगतू तथा पतवा शहीद हो गए | वह स्वाभिमानी बालिका थी | पिता और भाइयों के बलिदान के बाद भी उसने शत्रु के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया | उसने पुरुष वेश धारण किया | अपनी बची-खुची बिखरी सेना को संगठित किया और फिर से शत्रुओं को ललकारने निकल पड़ी | उस वक्त उसकी उम्र मात्र 15 वर्ष थी |
वह लगातार 7 वर्ष तक आक्रमणकारियों से जूझती रही आखिर उसने दुश्मनों को राज्य से बाहर खदेड़ कर ही दम लिया |
शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर एक दिन जब वह वापस अपने गांव लौट रही थी, एक स्थान पर एकांत पाकर वह नदी में स्नान करने उतरी | तभी किसी शत्रु सैनिक ने उसे देख लिया और पीछे से वार कर धोके से मार डाला |
यह वीरांगना इतिहास में वीरबाला Tilu Rauteli के नाम से विख्यात है |