सुधा चन्द्रन
धीरे-धीरे लोग उसे समारोहों में बुलाने लगे | जहाँ भी वह जाती, लोग उसका नाच देखने टूट पड़ते | रबर की तरह लचकता शरीर, बिजली की तरह थिरकते उसके पांव और चेहरे के बदलते भाव, सबको मंत्रमुग्ध कर देते | धीरे-धीरे देश भर में उसके कार्यक्रम होने लगे | अखबारों में उस पर लेख लिखे जाने लगे | सब जगह Sudha Chandran के नृत्य की चर्चा होने लगी |
तभी एक दिन बस दुर्घटना में उसका दायाँ पाँव खराब हो गया | डॉक्टरों की सलाह से उसका वह पाँव काट देना पड़ा | डॉक्टरों ने कहा, " बिना पाँव के अब यह लड़की कभी नाच नहीं सकेगी |" Sudha Chandran के चाहने वालों को बहुत दुख हुआ | उसके माता-पिता भी निराश हुए | वे सोचते, अब उनकी बेटी कभी नाच नहीं सकेगी |
पर Sudha Chandran निराश नहीं हुई | वह तो किसी और मिट्टी की बनी थी | उसने मन ही मन ठान लिया | मैं नाचूँगी और जरूर नाचूँगी | असली पैर नहीं तो क्या ? मैं नकली पाँव लगाकर नाचूँगी |
डॉक्टरों ने सुधा का नकली पैर लगा दिया | पहले उसने धीरे-धीरे उस पैर से चलना सीखा | फिर धीरे-धीरे नाचना | नाचते वक्त उसका कटा पैर दर्द करता, सूज जाता और कभी-कभी उससे खून बहने लगता, वह दवाई लेती, और आराम करती और ठीक हो जाने पर नाचना शुरू कर देती | इस नकली पाँव के साथ नाचने का उसने महीनों तक अभ्यास किया |
फिर एक दिन वह स्टेज पर अपना नाच दिखाने उतरी | वह नाची | वही पहले जैसा ही लचक भरा तेज और सुंदर नाच | देखने वालों को अनुमान भी नहीं हुआ कि इतना सुंदर नृत्य करने वाली नर्तकी का एक पैर नकली है |
Sudha Chandran अब भी नृत्य करती हैं | साथ ही फिल्मों और सीरियलों में अभिनय भी करती है |