Lodi Rikhola - लोदी रिखोला

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पुराने जमाने की बात है । पौड़ी गढ़वाल में एक गांव था बयेली । एक बार गांव में बारात आई । गांव वालों ने बारातियों के पानी के इंतजाम के लिए गांव के पंदेरे पर एक बड़ा सा गेड़ा लगा दिया | गेड़ा पहले ही बहुत भारी था और जब पानी से भर गया तो बहुत भारी हो गया । गेड़े को पंदेरे से खिसका पाना मुश्किल हो गया । कोई भी गांव वाला पानी से भरे उस गेड़े को खिसकाना तो दूर हिला तक न सका ।

14 साल का एक बालक यह सब देख रहा था । जब सब लोग हार गए तो उस बालक ने वह भरा गेड़ा उठाकर बारात से चौक में रख दिया । गांव वाले आश्चर्यचकित रह गए । पूरे क्षेत्र में खबर फैल गई की बयेली में एक भड़ पैदा हो गया है । खुशी से गांव वालों ने उस बालक को डोली में बिठा कर पूरे गांव में घुमाया ।

यह बालक जब बड़ा हुआ तो उसकी वीरता के चर्चे चारों ओर होने लगे । लोगों में यह Lodi Rikhola के नाम से विख्यात हो गया । Lodi Rikhola की ख्याति गढ़वाल के राजा महीपत शाह तक पहुंची । राजा ने उसे अपना सेनापति नियुक्त कर दिया ।

राजा महीपत शाह ने उसे अपने सेनापति माधो सिंह भंडारी के साथ तिब्बती सीमा के उपद्रव को शांत करने के लिए भेजा । Lodi Rikhola ने वीरता पूर्वक उपद्रवियों का दमन किया और तिब्बत की ओर गढ़वाल राज्य के मुनारे ( सीमा चिन्ह ) स्थापित कर दिए ।


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