रेगिस्तान का शेर - Moral Story
हमारे देश से दूर पश्चिम में एक देश है लीबिया। लीबिया की गुलामी के दिनों की बात है। मदरसे में उमर मुख्तार नामक एक अध्यापक छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाते थे। एक दिन वे कक्षा में पढ़ा रहे थे, कि एक व्यक्ति उनके पास आया। उसने कहा, कि " आपके शिष्य दूर-दूर तक फैले हुए हैं, उन पर आपका प्रभाव भी है। आप क्यों नहीं इन सबको देश की आजादी के लिए लड़ने को कहते ? ऐसे समय में जबकि देश गुलामी की बेड़ियों में बंधा हुआ हो- आप जैसे अध्यापक का चुप बैठे रहना, ठीक नहीं है।"
अध्यापक के दिल में उस व्यक्ति की बात बैठ गई। उन्होंने अपने एक-एक शिष्य से संपर्क किया, और देश को आजाद करने के लिए एक संगठन खड़ा किया। फिर शुरू हुई इटली की सेना से आजादी की इन सिपाहियों की लड़ाई। उमर मुख्तार दिन में स्कूल चलाते रात में लड़ाई लड़ते। बाद में स्कूल भी छूट गया। धीरे-धीरे उनका नाम ही आजादी की लड़ाई का पर्यायवाची बन गया। उन्हें "रेगिस्तान का शेर" कहा जाने लगा।
एक बार वे अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ इटालियन सेना से मोर्चा ले रहे थे। इटालियन सेना पीछे हटती हुई भाग रही थी। तभी एक इटालियन नौजवान मुख्तार की सैनिक टुकड़ी के घेरे में फस गया था। यह संयोग ही था, कि वह सिपाही उमर मुख्तार के सामने पड़ गया। उसने राइफल से अमर पर फायर करने की कोशिश की। लेकिन उसकी गोलियां खत्म हो चुकी थी। वह इतने निकट था कि उमर के साथी उसे गोलियों से भून देते। इटालियन सिपाही ने अपने प्राण बचाने के लिए अमर मुख्तार की ओर देखा। उमर मुख्तार ने उसके मन की भावना समझ ली। उमर ने स्वयं भी उस पर गोली नहीं चलाई, अपने साथियों को भी उस पर फायर करने से रोक दिया। वे जोर से चिल्लाए-"इटालियन भाग जाओ !" वह सिपाही भाग खड़ा हुआ।
मुख्तार के साथियों ने उससे पूछा, कि "उन्होंने इस सिपाही को क्यों छोड़ दिया ?" मुख्तार का जवाब था- "हम आजादी के सिपाही हैं"। किसी दूसरे को गुलाम बनाने वाले लोग नहीं। हमें लड़ाई के मैदान में भी मनुष्यता का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। सिपाही निहत्था हो चुका था और हमसे प्राणों की भीख मांग रहा था। उसे छोड़कर हमने कोई गलती नहीं की।"
कुछ समय बाद उमर मुख्तार गिरफ्तार हुए तो उसी सिपाही को उन पर गोली चलाने को कहा गया । सिपाही ने यह कह कर अपनी राइफल फेंक दी कि "वह एक क्रांतिकारी पर गोली नहीं चलाएगा।
उमर को फांसी की सजा दी गई। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद सारा लीबिया विदेश इटालियन सरकार के खिलाफ उठ खड़ा हुआ। इटालियन शासकों को अंततः वह देश छोड़कर जाना पड़ा।
Moral of the Story - नैतिक शिक्षा
"अहं को त्याग अणु से मित्रता कर लो ;
गगन को भूल जग को अंक में भर लो;
इसी में हित निहित शिखरो ! तुम्हारा है ;
झुको, झुककर धरा की वंदना कर लो।
जगदीश वाजपेई के अनमोल वाक्य
"मानव ! मत तू फिक्र कर, यश-अपयश सम हव्य,
बल, धीरज, मन, बुद्धि से, करता जा कर्तव्य।
श्रीमन नारायण के अनमोल वचन
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