हिंदी रैप लिरिक्स
कैसे रोकूँ खुद को
मेरी वासनाए मुझ पे हावी
बन फकीर दुनिया से कट के बैठा
मैं लकीर का फकीर बन के बैठा
सपने बुन के ख्वाब मैं जगाए बैठा
धुंध मैं मचाये बैठा
मन का मैला बन के बैठा
खुद को सिर पे मैं चढ़ाए बैठा
लगता है कि युग बदल रहा है
कलयुग है मुझ पे हावी
देख के गरीब को
मैं खुद की राह बदल जो बैठा
लगता है कि युग बदल रहा है
कलयुग है मुझ पे हावी
लिखने बैठा शब्द जो छुपाए बैठा
लगता है कि मैं बदल रहा हूं
मेरी वासनाएं मुझ पे हावी
जो बदल रहा है जग को
हमने उसकी टांग खींची
लगता है कि
मैं नहीं ये जग बदल रहा है
क्योंकि कलयुग है हावी