Motivational Story In Hindi | स्वामी मनमंथन | प्रेरक प्रसंग

सफाई, पहली पढ़ाई"प्रेरक प्रसंग"

स्वामी मनमंथन, प्रेरक प्रसंग, प्रेरक prasang, motivational stories in hindi, motivational stories in hindi for success,motivational stories in hindi for students, short motivational stories in hindi with moral, best motivational stories in hindi,
स्वामी मनमंथन
सुदूर दक्षिण से गढ़वाल में एक सन्त आए । उनका नाम था स्वामी मनमंथन | वे एकांत में बैठकर चिंतन करते | वह बराबर यहां के बच्चों के बारे में विचार करते रहते | वह सोचते, कैसे यहां के बच्चों का जीवन अच्छा हो |

स्वामी मनमंथन ने एक स्कूल खोला | उनके स्कूल में कई बच्चे आते थे। मनमंथन सफाई पर विशेष ध्यान देते थे। उन दिनों गांव के बच्चों की स्थिति बहुत दीन-हीन थी | स्वामी जी एक ऐसा स्कूल बनाना चाहते थे जहां बच्चे खुश होकर पढ़ सकें |

स्वामी जी के आश्रम के समीप पानी का एक हौज था। स्वामी जी बच्चों को रोज हाैज के पानी से नहलाते | अपने कंधे पर लटके साफे से उन्हें पोंछते और तेल-कंघी कर उन्हें स्कूल भेजते | वहीं कई बार बच्चों के कपड़े भी धो देते | स्वामी जी बच्चों के साथ खेलते। उन्हें खाना खिलाते और बच्चों को बहुत प्यार करते थे।

एक बार किसी ने स्वामी जी से कहा- ' स्वामी जी! आप बच्चों को नहलाते रहते हो। वे घंटों आपके पास रहते हैं। जिससे उन्हें स्कूल जाने में देर हो जाती है। स्वामी जी जवाब देते,  " देखो भाई! साफ सफाई सबसे बड़ी पढ़ाई है, बच्चा साफ सुथरा रहेगा तो उसका दिल दिमाग भी ठीक रहेगा |"

शाम को बच्चे स्कूल से घर लौटते | उनकी माताएं पूछती,  " अरे! आज तो तुम साफ-सुथरे दिख रहे हो? " माँ! हमें जोगी ने नहलाया है।" यह सुनकर माताएं शर्म महसूस करती | हुए बच्चों को स्वयं नहलाने लगी | अगले दिन से सभी बच्चे साफ-सुथरे होकर स्कूल जाने लगे। बाद में इन्हीं स्वामी मनमंथन ने विश्वविद्यालय आंदोलन और बलि प्रथा उन्मूलन का सफल नेतृत्व किया | आज भी अनाथ महिलाओं और बच्चों के लिए इनके द्वारा स्थापित किया गया श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम टिहरी जिले के अंजनीसैंण में स्थित है |

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post

Related Articles

Ads

3-latest-65px