स्वामी विवेकानंद के प्रेरक प्रसंग

"स्वामी विवेकानंद"

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कक्षा में गुरुजी कुछ पढ़ा रहे थे | नरेंद्र अपने दोस्तों से बात कर रहा था | उसी वक्त गुरुजी ने नरेंद्र से एक प्रश्न पूछा | नरेंद्र ने प्रश्न का सही जवाब दे दिया | गुरुजी ने वही सवाल नरेंद्र के दोस्तों से पूछा। नरेंद्र के साथी सही जवाब नहीं दे सके | अध्यापक ने उनको कान पकड़वाकर खड़ा कर दिया। तभी न जाने क्या हुआ। नरेंद्र भी अपने दोस्तों के साथ कान पकड़कर उनकी बगल में खड़ा हो गया।" तुम क्यों खड़े हो नरेंद्र ? मैंने तुम्हें तो कोई दंड नहीं दिया है।" गुरु जी ने नरेंद्र से पूछा | " मैंने अपना दंड स्वयं स्वीकार किया है |" नरेंद्र ने कहा। " ऐसा क्यों ? " गुरुजी ने फिर पूछा | " क्योंकि बातें मैं कर रहा था और मेरे दोस्त सुन रहे थे | " नरेंद्र ने जवाब दिया।

अध्यापक ने तुरंत नरेंद्र को अपने पास बुलाया। उसे शाबाशी दी। भी बोले,  " बच्चों नरेंद्र एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा। सारी दुनिया नरेंद्र को जानेगी | लोग इसके बताए मार्ग पर चलेंगे।"

गुरु जी की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई | यही नरेंद्र आगे चलकर Swami Vivekananda के नाम से विख्यात हुए।


देशभक्ति
Motivational Stories in Hindi for Students

Swami Vivekananda एक बार जापान की यात्रा पर थे। एक दिन Swami Vivekananda जी ने बाजार में एक दुकानदार से आम खरीदे। दुकानदार ने Swami Vivekananda जी को कुछ सड़े हुए आम भी दे दिए। Swami Vivekananda जी आम ले कर चल दिए। वे अभी कुछ दूर ही गये थे कि एक बालक उनके पास आया। बालक बोला,  " उस दुकानदार ने आपको कुछ खराब हम दे दिए हैं। कृपया वे आम आप मुझे दे दीजिए और ये बढ़िया आम आप ले लीजिए। आपको जो असुविधा हुई उसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं।" Swami Vivekananda जी उस बालक से बहुत प्रभावित हुए और बोले,  " बेटे, बताओ इस उपकार के बदले में तुम्हें क्या दे सकता हूं ? '

बालक बोला, यही कि जब आप अपने देश जाएं तो वहां इस घटना की चर्चा किसी से ना कीजिएगा कि, एक जापानी दुकानदार ने मुझे खराब फल दिए |"

Swami Vivekananda जी उस नन्हे बालक की देशभक्ति से बड़े प्रभावित हुए। इतनी छोटी सी उम्र में ऐसी देशभक्ति देखकर दंग रह गए |

2 Comments

  1. इतने महान संत को शत शत नमन आजका इन्सान अगर स्वामी विवेकानंद
    जी का एक सन्देश भी अपने जीवन में उतारे तो कभी परेशान नहीं होगा . ज्ञानवर्धक लेख के लिये धन्यबाद

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  2. Such me mahan the Swami Vivekananda ji

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